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ऐसा देखा गया है की ब्रेन ट्यूमर, रीड़ की सर्जरी और नस की बीमारियों के इलाज़ के लिए राँची वासी अक्सर दिल्ली,बैंगलोर इत्यादि बड़े शहरों में जाके इलाज़ करवाते हैं। इससे रोगियों का वह महत्वपूर्ण समय नष्ट हो जाता है जिसका उपयोग उनके उपचार में किया जा सकता था। इससे मरीज को यात्रा में भी परेशानी होती है। परन्तु अब ब्रेन, रीड़ एवं नस की बीमारियों का विश्वस्तरीय इलाज़ राँची के ऑर्किड सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में उपलब्ध हैं। इस आर्टिकल में हम कुछ गंभीर रोगियों की कहानियाँ प्रस्तुत करेंगे जिन्होंने बाहर न जाकर ऑर्किड अस्पताल को चुना और विश्वस्तरीय इलाज़ से अपनी जीवन को बेहतर बनाया।
राँची के 65 वर्षीय अवधेश कुमार गुप्ता लेफ्ट साइडेड पैरालिसिस से ग्रसित थे। उनकी हालत काफी गंभीर थी। वह पूरी तरह से संवेदनहीन और बहुत कमजोर थें। गंभीर हालत में उन्हें आर्किड अस्पताल लाया गया। उन्हें ऑर्किड अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ विक्रम सिंह से देखा। जाँच से पता चला की अवधेश जी की लेफ्ट साइडेड पैरालिसिस (ब्रेन हेमरेज) है और उन्हें तुरंत सर्जरी की आवश्यकता है। डॉ विक्रम ने सर्जरी की और सर्जरी के अगले ही दिन से अवधेश जी सचेत हो गए और वह पूरी तरह से लकवा से उबर गए। वह कमजोरी से भी उबर गए। उन्हें 5 दिन हॉस्पिटल में रखा गया और फिर उन्हें छुट्टी दे दी गयी। अब वह काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं।
हॉस्पिटल एवं डॉ विक्रम से अवधेश जी और उनके परिजन काफी खुश और संतुस्ट हैं। उनके परिजनों ने कहा की डॉ विक्रम द्वारा की गयी बेहतरीन सर्जरी एवं माता रानी के कृपा से अब अवधेश जी और उनका परिवार खुशी से दिवाली का पर्व मना सकते हैं।
उनकी कहानी वास्तव में हमारे लिए खास है, आप उन्हें एक वास्तविक जीवन योद्धा मान सकते हैं जिन्होंने हमारी मदद से ब्रेन ट्यूमर को हरा दिया। उनका इलाज डॉ विक्रम सिंह, एमएस, एम.सीएच, न्यूरोसर्जरी (निमहंस), कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन, ऑर्किड मेडिकल सेंटर द्वारा किया गया। प्रारंभ में, वह गंभीर सिरदर्द से पीड़ित थे। वह बेहतर इलाज के लिए बेंगलुरु गए थे। वहां उन्हें ब्रेन ट्यूमर का पता चला। फिर उन्हें डॉ विक्रम सिंह, सलाहकार न्यूरो सर्जन, आर्किड मेडिकल सेंटर, राँची रेफर किया गया। डॉ. विक्रम से परामर्श और दवाएँ लेने के बाद, उन्हें बेहतर महसूस हुआ और उन्हें ब्रेन सर्जरी कराने का सुझाव दिया गया। उनकी माइक्रोस्कोपिक सर्जरी की गयी। सर्जरी से उनकी ब्रेन से ट्यूमर निकला गया। ट्यूमर काफी बड़ी थी। सर्जरी के बाद उन्हें रेडिएशन थेरेपी कराने का सुझाव दिया गया ताकि ट्यूमर फिर से न बढ़े। अब उनकी सर्जरी के 2 वर्ष बीत गए है। उनके ब्रेन में फिर से ट्यूमर विकसित नहीं हुआ है। अब वह बिल्कुल ठीक है और फिर से काम करना शुरू कर दिया है। हमें वास्तव में प्रिंस कुमार पर गर्व है क्योंकि उनमें हमारी मदद से अपने ट्यूमर को हराने की इच्छाशक्ति थी।