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आसान हुई अब स्पाइन सर्जरी

स्पाइन सर्जरी पहले कभी एक बड़ी चुनौती हुआ करती थी । लेकिन अब ये आसान हो गई है। इसका फायदा झारखंड में रह रहे मरीजों को होगा। स्पाइन सर्जरी के तरीके में मिनिमल इन्वेसिव विधियों या कीहोल सर्जरी के जरिए काफी बदलाव आया है। पहले स्पाइन अर्थात रीढ़ की सर्जरी को बेहद संवेदनशील माना जाता था और चिकित्सक इसे तब तक नहीं करते थे, जब तक मरीज पूरी तरह से चलने-फिरने में लाचार न हो। वजह थी कि इसे करने में तकनीकी संभावनाएं बहुत सीमित थीं मगर अब इसमें एक बड़ा संबल दे रही है मिनिमल इन्वेसिव सर्जरी। आम सर्जरी के मुकाबले कम समय में होने वाली मिनिमली इन्वेसिव सर्जरी तकनीक स्पाइन सर्जरी के मरीजों के लिए ज्‍यादा बेहतर है। स्वस्थ शरीके लिए रीढ़ की हड्डी का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। किसी भी आघात, दुर्घटना या चोट के बाद रीढ़ की हड्डी में स्थिरता प्रदान करने के लिए रीढ़ की हड्डी की ‎सर्जरी (Spinal surgery) महत्वपूर्ण है,  यह पीठ के साथ कुछ समस्याओं से राहत प्रदान करता है, लेकिन ‎जोखिम और लाभ के संबंध में डॉक्टर से परामर्श करना हमेशा बुद्धिमान होगा, क्योंकि यह एक महंगी सर्जरी ‎है और इसके दुष्प्रभावों (side effects) का उचित हिस्सा शामिल है।

रीढ़ की बीमारी के क्या लक्षण हो सकते हैं ?

रीढ़ की बीमारियों में उपरोक्त कम्पोनेन्ट्स में से कोई भी शामिल हो सकता है और इसके परिणाम स्वरूप रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ सकता है। इससे गर्दन या पीठ में दर्द, सुन्नता, झटके जैसा सनसनी, हाथों और पैरों में कमजोरी (लकवा), संवेदना में कमी और पेशाब पर नियंत्रण का नुकसान हो सकता है।

रीढ़ की हड्डी के रोगों के लिए कौन से उपचार/विकल्प उपलब्ध हैं?

कई स्थितियों में इसे दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन जब रीढ़ की हड्डी और नसों पर दबाव ज्यादा हो तो सर्जरी की सलाह दी जाती है।

रीढ़ की हड्डी में क्या शामिल है?

हमारी रीढ़ में मुख्य रूप से तीन कम्पोनेंट होते हैं:

  • रीढ़ की हड्डी बनाने वाली हड्डियाँ- वर्टेब्रा
  • डिस्क जो हड्डियों के बीच स्थित होती है
  • रीढ़ की हड्डी और नसें जो हड्डियों के भीतर एक जगह से गुजरती हैं ।

रीढ़ की हड्डी की बीमारी के कारण क्या हैं ?

ये रोग विभिन्न कारणों से हो सकते हैं, जिनमें सबसे आम हैं।

  • ट्रॉमा एवं दुर्घटनाएं- इनसे वर्टेब्रा को चोट लग सकती है जिसके परिणाम स्वरूप फ्रैक्चर या वर्टेब्रा एक दूसरे पर फिसल जाते हैं।
  • स्पोंडिलोसिस और डिस्क प्रोलैप्स- ये मुद्दे आमतौर पर उम्र से और पोस्चर से संबंधित होते हैं, और आमतौर पर ग्रीवा और काठ के क्षेत्रों में होते हैं।
  • संक्रमण- रीढ़ की हड्डी के क्षय रोग से हड्डियों और डिस्क का विनाश होता है जिससे रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता हैं और पैरालिसिस हो सकता है।
  • ट्यूमर- स्पाइनल ट्यूमर सभी आयु समूहों में हो सकता है और कैंसर या गैर-कैंसर युक्त हो सकता है। कई मामलों का जल्द पता लगाने से ठीक किया जा सकता है।
  • जन्मजात समस्याएं- ये समस्याएं जन्म से ही मौजूद होती हैं और मूल रूप से आनुवंशिक होती हैं। उदाहरण के लिए- मेनिंगोमीलोसेलेस, जो नवजात बच्चों में पीठ के ऊपर सूजन है।
  • स्पाइन की सर्जरी कितनी सुरक्षित है?

    यदि समस्या का पता जल्द लगाया जाता है तो रीढ़ की सर्जरी काफी सुरक्षित है और बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। इस तरह की बीमारियों से पीड़ित कई लोग अंततः सामान्य जीवन जीने में सक्षम होते हैं। 

    ऑर्किड मेडिकल सेंटर, न्यूरोसर्जरी विभाग, रीढ़ की हड्डी के मुद्दों के निदान और उपचार में नवीनतम तकनीक प्रदान करता है। मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी, जो कि छोटे कटों का उपयोग करके स्पाइन सर्जरी की तकनीक है, और यह ऑर्किड हॉस्पिटल में उपलब्ध है।

    रीढ़ की हड्डी के विकारों मे फिजियोथेरेपी की क्या भूमिका है?

    मरीज़ को जल्दी स्वस्थ और शरीर को जल्दी रिकवर होने मे फिजियोथेरेपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

    सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपी की भूमिका:

    • फिजियोथैरेपी मरीज को जल्दी से ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है-दर्द में आराम 
    • मस्सल फैसिलिटेशन 
    • सस्टेबिलाइजेशन टू सर्जिकल पार्ट 
    • व्यायाम
    • दैनिक जीवन की गतिविधि में आसनीय सलाह

    स्पाइन की फिजियोथेरेपी सर्जरी के पश्चात

    • एंकल टो मूवमेंट 
    • घुटने/पीठ की मांसपेशियों का आइसोमेट्रिक व्यायाम
    • गति की सक्रिय सीमा निचले अंगों का व्यायाम
    • सुरक्षात्मक उपकरण का उपयोग (लम्बो सरसैक्रान बेल्ट)
    • प्रॉपर मोबिलिसशन तकनीक 
    • कीगल व्यायाम

    इसके अलावा फिजियोथेरेपी निम्न समस्याओं के उपचार में उपयोग किया जाता है।

    • सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस 
    • लंबर स्पॉन्डिलाइटिस 
    • प्रोलैप्सेड इन्वेर्टिब्रल डिस्क कोलैप्स 
    • सर्वाइकल नेक पेन

    अर्थराइटिस ऑफ़ शोलडर जॉइंट- फ्रोजेन शोल्डर 

    • ऑस्टियो अर्थराइटिस ऑफ़ नी जॉइंट -गठिया 
    • बेल्स पॉलसी -चेहरे पर लकवा 
    • कार्डियोपल्मोनरी समस्याएं

    रितेश और मोरे सागर ने अपनी स्पाइन सर्जरी के लिए ऑर्किड हॉस्पिटल को चुना। और आपने? रीढ़ की हड्डी की सफल सर्जरी झारखण्ड में।  

    मेरा नाम रितेश अग्रवाल है मेरी उम्र 43 वर्ष है। 3 महीने पहले मैं मैदान में पेट के बल गिर गया था जिसके कारण मुझे थोड़ी सी चोट आई थी। 22अप्रैल को मेरा पाँव घाट में फस गया जिसके कारण मुझे काफी दर्द हुआ। मैंने एमआराई कराया,मैंने ऑर्थोपडिक से दिखा कर दवा भी लिया लेकिन कुछ आराम ना मिला। क्यूंकि मेरी मदर का इलाज़ ऑर्किड अस्पताल में ही चल रहा था तो वहाँ मैं न्यूरो सर्जन डॉ विक्रम से मिला उन्होंने मुझे स्पाइन की सर्जरी की सलाह दी और सर्जरी डॉ विक्रम ने नेक्स्ट डे किया । अब मै बिलकुल स्वस्थ हूँ। ऑर्किड मेडिकल सेंटर एवं डॉ विक्रम का बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ । 

    बॉर्डर सिक्योरिटी फाॅर्स जवान को मिली बेहतर जिंदगी । 

    मेरा नाम मोरे सागर है। में बॉर्डर सिक्योरिटी फाॅर्स में नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र 41 वर्ष है। में ऑर्किड मेडिकल सेंटर के कंसलटेंट न्यूरोसर्जन डॉ विक्रम सिंह से 20 मई को मिला। मेरे बाएं पैर में बहुत दिक्कत हो रही थी। मेरा पैर सुन्न पड़ा हुवा था और चलने में भी बहूत दिक्कत हो रही थी। डॉ विक्रम ने जाँच के बाद मुझे सर्जरी करने की सलाह दी। सर्जरी के बाद में काफी अच्छे तरह से चल पा रहा हूँ। मेरा पैर भी पूरी तरह से ठीक हैं। सर्जरी के वक़्त भी कोई तकलीफ नहीं हुई। सर्जरी के बाद में काफी ठीक हूँ। ऑर्किड अस्पताल का एक्सपीरियंस भी काफी अच्छा रहा। अस्पताल बहुत बढ़िया हैं। सर्विस भी काफी अच्छी है। डॉक्टर्स के अलावा नर्सिंग, हाउसकीपिंग एवं मैनेजमेंट भी काफी अच्छा हैं।

    Consult
    Dr Vikram Singh
    M.S, M.CH NEUROSURGERY (NIMHANS)
    Consultant Neurosurgeon

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